धार्मिक नगरी काशी का मोक्ष तीर्थ है, कहते है यंहा जिसका अंतिम संस्कार होता है उसकी सद्गति होतीअ है, लेकिन आज यहाँ हो रहा है नगर वधुओं (वैश्यों) का डांस लेकिन ऐसा क्यों ? दरअसल सत्रहवी सताब्ती मैं काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर संगीत का एक कार्यक्रम रखा!
लेकिन ऐसे स्थान जहाँ चिताए ज़लती हों संगीत की सुरों को छेड़े भी तो कौन ? ज़ाहिर है कोई कलाकार यहाँ नहीं आया ! आई तो सिर्फ तवायफें लेकिन ऐसा नहीं की इस आयोजान की यही सिर्फ एक वज़ह हो धीरे धीरे ये धारणा भी आम हो गयी की बाबा भूत भावन की आराधना नृत्य के माध्यम से करने से अगले जानम मैं ऐसी त्रिरस्कृत जीवन से मुक्ति मिलती है!
गंगा जमुनी संस्कृति की मिसाल इस धरती पर सभी धर्मो की सेक्स वर्कर्स आती हैं जुबां पे बस एक ही ख्वाहिश लेकर शमशान पर सेक्स वर्कर्स का डांस और ये होता है धर्मं की नगरी काशी मैं वषों पुरानी इस परम्परा के पीछे मकसद बस एक 'ये जो किये हो दाता ऐसा न कीजो अगले ज़नम मोहे वैश्या न कीजो'!