स्वयं रूद्र कर रहे थे पांडवो के शिविर की रक्षा, फिर कैसे किया था अश्वत्थामा ने सोती हुई सेना का संहार?

"दुर्योधन की जंघा टूटने पर वो अकेला रणभूमि में पड़ा था तब कृतवर्मा कृपाचार्य और अश्वत्थामा उसके पास गए और दुर्योधन ने ड्रोन पुत्र को सेनापति बनाया तब हुआ नरसंहार"

महाभारत युद्ध की पांडवो की तरफ से समाप्ति हो चुकी थी, जित का शंखनाद भी हो चूका था युधिस्ठर ने श्री कृष्ण को गांधारी को शांत करने के लिए हस्तिनापुर भेजा! लेकिन कौरवो की तरह से मरते हुए दुर्योधन ने अश्वत्थामा को सेनापति बना दिया और उन्होंने रात में ही पांडवो को (उल्लू के द्वारा सोते हुए कौवो को मरना) नींद में ही मारने का निश्चय किया!

इस कुचेष्टा में कृतवर्मा और कृपाचार्य शामिल नहीं होना चाहते थे लेकिन सेनापति का आदेश तो मानना ही पड़ा, लेकिन जब अश्वथामा पांडवो की शिविर में जाना चाह रहा था तो सामने एक रक्षक दिखा जिसने बाघम्बर पहन रखा था जिसमे से खून टपक रहा था!

Next Slide में पढ़े: अशवत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चला दिया था रूद्र पर.....

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