महाभारत युद्ध में कर्ण के समान कोई भी दुसरा नेगेटिव (नकारात्मक) पात्र हमारी समझ में तो नहीं था, वो ठीक है की उसकी माँ ने लोक लाज के डर से उसे नदी में बहा दिया था लेकिन इसके चलते उसे और मृदुल होना चाहिए था! बचपन से ही पांडवो से ईर्ष्या लिए जब उसे द्रोणाचार्य से कुछ खास नहीं मिला तो ब्राह्मण हूँ ये कह के परशुराम से शिक्षा लेली!
परशुराम ने एन मौके पर अस्त्र विद्या भूलने का श्राप दिया, वंही अनजाने में एक ब्राह्मण की गाय के बछड़े को मार देने पर ब्राह्मण के श्राप से अर्जुन से युद्ध में उसके रथ का पहिया जमीन में धंस गया! तब क्रोध से रोते हुए वो धर्म को कोसने लगा और कहा की "धर्म किसी की रक्षा नहीं करता ये सब झूठी बातें है! हे अर्जुन तुम मुझे मत मारो मुझे रथ पे चढ़ने दो"
तब कृष्ण ने कर्ण को बताया क्यों धर्म उसकी रक्षा नहीं कर रहा है.....
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