image sources : shaligram
शालिग्राम का नाम आपने सुना ही होगा, एक काले से चमकीले पत्थर को सामान्य रूप से शालिग्राम समझा जाता है लेकिन जरुरी नहीं की वो असली हो. मूलतः गण्डकी नदी से मिलने वाले ऐसे पत्थर शालिग्राम शिला कहलाते है जिनकी पूजा वैष्णव और सभी हिन्दू करते है.
नर्मदा नदी में मिलने वाले पत्थरो को भी शालिग्राम कहते है जो की अलग रंग के होते है, हालाँकि उनका आज मूलतः शिवलिंग के रूप में उपयोग होता है जो की सही भी है. लेकिन पिंडी के आकर की शिलाओं को शिवलिंग के रूप में तो बाकि सभी प्रकार के पत्थरो को शालिग्राम यानि विष्णु रूप में पूजना चाहिए.
शालिग्राम के आकर और चिन्हो के अनुसार उनके नाम शाश्त्रो में बताये गए है और पूजा विधि भी लेकिन साधारण सा भी शालिग्राम पत्थर है तो वो भी पूजने योग्य है. शालिग्राम ज्यादातर घरो में आज नहीं है क्योंकि उसकी सेवा पूजा के तरीको से लोगो को पुण्य के बजाय पाप होने का डर लगता है.
लेकिन ऐसा है नहीं, जाने शालिग्राम शिला की सेवा विधि और उपाय...
image sources : shaligram.net
पत्नी को धर्म पत्नी इसलिए कहते है क्योंकि वो पति का गृहस्थ धर्म निभाने में सहायक है, अगर घर में गृहस्थ पत्नी है तो शालिग्राम रखने में कोई दिक्क्त नहीं होनी चाहिए. कतिपय हर भारतीय सुबह स्नान के बाद थोड़ी पूजा करता है अगर 5 मिनट भी है तो काफी है शालिग्राम घर में रखने के लिए.
शालिग्राम पूजा घर में या तुलसी के साथ दक्षिण मुखी यानि उतर की तरफ स्थापित करे, सुबह शाम अगर धुप तो होती ही है बस सुबह सुबह जल से स्नान कराकर आप चरणामृत ले और सर सींच ले तो सभी तीरथ मानो घर में ही है.
शालिग्राम घर में एक ही हो या दो लेकिन तीन कभी भी नहीं पूजे जाने चाहिए, अगर गलती से आ जाए तो उसे दान कर दे या मंदिर में चढ़ा दे या तीर्थ में बहते जल में छोड़ दे. शालिग्राम को तुलसी मग्न रखे या तुलसी रोज चढ़ाये, हिंदी कैलेंडर के चार महीने वैशाख ज्येष्ठ आषाढ़ श्रावण में शालिग्राम को जलमग्न रखे.
image sources : youtube
अगर आपको ये लगता है की रोज बाहर जाना पड़ता है तो सेवा मुमकिन नहीं है तो ये भी जान ले की भगवान् आपकी सेवा के भरोसे नहीं है. अगर मौका आपको मिल रहा है तो सेवा का आनंद ले नहीं मौका मिले तो ये आपका दुर्भाग्य है लेकिन घर से कभी बाहर जाने के चलते घर में रहने पर सेवा का अवसर न गवाए.
घर में अगर शालिग्राम शिला है और किसी की मृत्यु होती है तो उसे तीर्थ मरण का फल मिलता है और आपके उस निज जन की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. कर्म जिसे कहते है वो ये ही सब कुछ है जो आप धर्म निमित करते है, उसके आलावा जो नौकरी है वो तो आपके कर्मो के फल है वो तो करना ही पड़ेगा उसका कोई फल नहीं मिलेगा.
राधे राधे