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रामायण का अगर संधि विच्छेद करे तो राम+अयन, अयन का अर्थ होता है जिसमे वास होता है अर्थात राम का जिसमे वास है वो है रामायण. ऐसे ही तुलसी की राम चरित्र मानस का अर्थ है राम का तुलसी के मन के संकल्प से उत्पन्न जो चरित्र लिखा गया उसे रामचरित्रमानस कहते है.
कुश और लव जब ये कथा ऋषि मुनियो को कहते थे तो जितेन्द्रिय होकर भी वो रोने लगते थे ऐसे ही महादेव जब पार्वती जी से ये कथा कहते है तो उनकी भी आंखे भर आती है. आधुनिक रामकथा वाचक मुरारी बापू को अगर आपने सुना है तो देखा होगा की इस दौरान उनकी आंखे नम ही रहती है.
रामायण ग्रन्थ की कथा ही ऐसी है जिसमे कहने और सुनने वाले दोनों की आँखों में आंसू आ जाते है, शाश्त्रो में और विद्वानों ने ये कहा है की मनुष्य जन्म लेकर जिसने रामकथा का अमृत नहीं पिया है उसका जन्म ही व्यर्थ है. रामायण के कुछ ऐसे मार्मिक प्रसंग जाने जो हर किसी के दिल को छू लेते है.
अगर आप महसूस कर पाए तो समझे आपका जीवन सार्थक है...
एक वानर को भी धर्म पुत्र बना लेती थी सतिया ऐसी है हमारी रामायण, रामायण के सुन्दर खंड में रावण का शागिर्द और पराया पुरुष जान पहले हनुमान जी से भी बात नहीं करती है. हनुमान जी द्वारा कही गई बातो से जब विशवास हुआ तो पहले उन्होंने हनुमान को धर्म पुत्र बनाया उसके बाद ही उसे देखा उससे बात की.
धर्म पिता, धर्म भाई और धर्म पुत्र की परम्परा रामायण काल से ही आरम्भ हुई है हमारी संस्कृति में...
ऐसे ही रामायण में जब हनुमान जी राम जी को धीरज बंधाते है और राम जी हनुमान जी से उऋण होने की बात कहते है तो उस बात को कहते हुए (पार्वती को सुनाते समय) शिव जी की भी आँखों से आंसू बहने लगते है वो है रामायण!
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धरती पे बिछोना राम है ये राज मेरे किस काम है, कह कर सत्ता सुख छोड़ने वाले भरत का त्याग है रामायण! भाई भारत का चरित्र भी कुछ ऐसा ही है जिन्होंने अयोध्या का राज छोड़ दिया, रामजी की तरह ही नंदीग्राम में सन्यासियों के जीवन में सिर्फ गौमूत्र में बना जौ का दलिया खाकर ही जिन्दा रहे जब तक राम जी नहीं लौटे.
राजरानी सीता पर झूठा संदेह करने वाली प्रजा को प्रताड़ित न कर उनकी भूल का एहसास कराते है कुश लव वो है रामायण! क्षत्रिय धर्म के विपरीत स्वाभाव में कुश और लव अयोध्या की प्रजा को प्रताड़ित नहीं बल्कि उन्हें सीता जी के त्याग की कथा सुनाकर रुला रुलाकर मजबूर कर देते है की वो राम जी से कह सीता को वापिस लौटा लाये.
श्री राम विष्णु के पूर्ण अवतार थे जबकि श्री कृष्ण पूर्णतम फिर भी राम राम ही निकलता है मुंह से इसकी उत्तरदायी है रामायण!
मरते हुए शक्श को गीता नहीं रामायण का सुन्दर खंड सुनाया जाना चाहिए, हर हर महादेव!