पुनर्जन्म : आखिर पिछले जन्मे में ऐसा क्या कर्म किया था के हरीश चंद्र को देनी पड़ी थी ऐसी अग्नि परीक्षा??

"राजा से चांडाल बनना पड़ा पत्नी और बच्चे को भी बेचना पड़ा था पर धर्म नहीं छोड़ा, लेकिन आखिर ऐसा क्या कर्म किया होगा हरीश चंद्र ने की इस जन्म में बने धर्म धुरंधर"

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किसी भी समर्थ और ओहदे वाले इंसान को देख कर आपके मन में भी होता है की इसकी किस्मत अच्छी है हमारी ख़राब है, शायद इसने अच्छे कर्म किये होंगे. ऐसे ही टीवी न्यूज़ में या इंटरनेट पर जो ही कोई पुनर्जन्म की खबर आती है तो उसे आप मैं लपक कर लेते है और तुरंत पढ़ते है.

लेकिन इतिहास (अध्यात्म) में किसी नामदार की अगर पुनर्जन्म की कहानी पढ़ने मिल जाए तो चुके नहीं क्योंकि शाश्त्रो में जो लिखा है वो कठोर सत्य है. बिना किसी अच्छे कर्म के जो की निष्काम भाव से किया गया हो के अगले जन्म में नाम प्रसिद्धि या रसूख नहीं मिलता है.

सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र का नाम तो अपने सुन ही रखा होगा जिसने अपने वचन के लिए खुद को ही नहीं बल्कि पत्नी और बच्चे को भी बेच दिया था. लेकिन अंत में उसे त्रिदेवो ने दर्शन दिए वो फिर राजा बना और मौत के बाद भी स्वर्ग में इंद्र के बराबर उसका सिंघासन लगता है.

जाने ऐसे रसूख के लिए आखिर उसने क्या किये थे कर्म अपने पूर्व जन्म में?

Next Slide में पढ़ें : जाने राजा हरिश्चंद्र के पूर्व जन्म की कहानी, क्या किया ऐसा के बने राजा?
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