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30 जनवरी 1948 के दिन सुबह गाँधी जी की हत्या हो गई थी, गोली चलाने वाला नाथूराम गोडसे उन्हें मार कर वंही शांति से खड़ा रहा और बाद में उसे और उसके एक साथी आप्टे को फांसी पर चढ़ा दिया गया. हालाँकि गाँधी जी का परिवार चाहता था की ऐसा न हो उसे उम्रकैद हो लेकिन नेहरू जी ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उन्हें फांसी अपर ही चढ़वा दिया.
नाथूराम कौन था उसका क्या बैकग्राउंड था हत्या के पीछे किसका हाथ था इसकी जाँच भी हुई कुछ हासिल नहीं हुआ और चर्चाये आज भी होती रहती है लेकिन अगर आपको अपनी निजी राय बनानी है तो आपको उस समय के घटनाक्रम को समझना होगा जिसके लिए तथ्य हम दे रहे है.
अपनी हत्या होने का आभास गाँधी जी को पहले से था और वो उनदिनों रोज इस तरह की बातें अपने करीबियों को बताया या कहा करते थे. साथ ही नाथूराम ने अपनी फांसी से पहले और सुनवाई के दौरान हत्या के पीछे का कारण भी बताया उसे ही जानले क्योंकि सभी जानकारियों चौंकाने वाली है.
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