जानिए चमत्कारिक शिव मंदिरो के बारे में, कंही दिखाई देता है शिव का रंग बदलता अंगूठा तो कंही...

"जो देवो के भी देव है उन्हें महादेव कहते है जो कैलाश पर निवास करते है जिन्होंने हलाहल पीकर जगत की रक्षा की वो शायद भारत के आज सबसे बड़े इष्ट है उनके प्रसिद्द....."

image sources : youtube

अरावली (अर्बुद या आबू) पर्वत है वो भी महातीर्थ है, इसी पर  महर्षि वसिष्ठ (राम जीके गुरु) का आश्रम है और इन्ही स्तिथ है अचलेश्वर महादेव. मंदिर 2500 साल पुराना है लेकिन इस मंदिर के निर्माण से पहले इस स्थान के इतिहास की कहानी भी काफी विचित्र है. 

पौराणिक काल में जहां आज आबू पर्वत स्थित है, वहां नीचे विराट ब्रह्म खाई थी, इसके तट पर वशिष्ठ मुनि रहते थे। उनकी गाय कामधेनु एक बार हरी घास चरते हुए ब्रह्म खाई में गिर गई, तो उसे बचाने के लिए मुनि ने सरस्वती गंगा का आह्वान किया तो ब्रह्म खाई पानी से जमीन की सतह तक भर गई और कामधेनु गाय गोमुख पर बाहर जमीन पर आ गई लेकिन ये बार बार होता रहा.

वशिष्ठ मुनि ने हिमालय जाकर शिव से ब्रह्म खाई को पाटने का अनुरोध किया, हिमालय ने मुनि का अनुरोध स्वीकार कर अपने प्रिय पुत्र नंदी वद्र्धन को जाने का आदेश दिया, तब अर्बुद नाग नंदी वद्र्धन को उड़ाकर ब्रह्म खाई के पास वशिष्ठ आश्रम लाया ऐसे इस पर्वत का नाम अर्बुद पर्वत पड़ गया.

लेकिन फिर भी ये खाई नहीं भरी तो शिव जी ने अपने अंगूठे पर इस पर्वत को रोक लिया और आज भी शिव जी का वो अंगूठा यंहा दिखाई देता है जिसपे ये पर्वत खाई में ठहरा हुआ है...

Next Slide में पढ़ें : शिव जी के ऐसे ही कुछ चमत्कारिक मंदिर 
Previous 1 2 3 Next  

Share This Article:

facebook twitter google