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सुनकर शायद चौंक गए होंगे लेकिन ये बिलकुल सच है, अपने रामायण भले ही पढ़ी होगी लेकिन 11000 साल की लीला को कोई भी लेखक समेत नहीं सकता है. तुलसी रामायण में उत्तरकाण्ड में भुसुंडि जी और गरुड़ जी की कथा है तो वाल्मीकि रामायण घटित होने से पहले ही लिख दी गई थी और इसी के चलते इन दोनों रामायणो में विरोधाभास है.
आपको जानकार आश्चर्य होगा की इन दोनों ही रामायणो में अहिरावण और महिरावण के वध की कथा ही नहीं है दक्षिण भारत में लिखी गई किसी रामायण में इसका वृतांत है. हालाँकि दक्षिण भारत की रामायण को उत्तरभारत में पूर्णतः मान्यता नहीं है क्योंकि वंहा पर सेकुलरिज्म के चलते कथा से छेड़छाड़ की गई है.
लेकिन 18 पुराणों में रामायण के कई अंश लिखे है जिनको उतर भारत में मान्यता प्राप्त है इन्ही में से एक प्रमुख है पद्मपुराण के पाताल खंड में शेषनाग द्वारा सुनाई गई उतर रामायण. वाल्मीकि रामायण में सीता जी का धरती में समा जाना बताया गया है तो इसमें ऐसा कुछ नहीं है बल्कि सीता जी रामजी के साथ ही अयोध्या में लौट आई थी ऐसी हैप्पी एंडिंग स्टोरी है.
उसी खंड में वर्णित है शिवगण वीरभद्र द्वारा भरत पुत्र पुष्कल के वध का वृतांत....
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