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मनोज कुमार पाकिस्तान के एबटाबाद में जन्मे थे और शरणार्थी बन के भारत आये थे पढाई पूरी की उसके बाद फिल्मोमें एक्टिंग को करियर बनाना चाहा और छोटे मोटे रोल किये. दिलीप कुमार के बचपन का रोल कर उन्हें पहचान मिली और जल्द ही वो लीड रोल में दिखाई देने लगे.
1965 में शास्त्री जी के आग्रह पर उन्होंने देशभक्ति फिल्मे बनानी शुरू की और पहली ही फिल्म शहीद जो की भगत सींग पर आधारित थी बड़ी हिट रही थी. इस फिल्म का शास्त्री जी को पाकिस्तान से जंग में भी फायदा हो गया था लेकिन मनोज ने ये फार्मूला जारी रखा और इसी पैटर्न पर फिल्मे बनानी शुरू की.
मनोज से वो भारत कुमार तो बन गए लेकिन धार्मिक, सामाजिक और राष्ट्रिय हित की फिल्मे बनाने के बावजूद उन्होंने अपनी फिल्मो में बलात्कार को एक्सपोजर के तौर पर अपनी फिल्म को हित कराने के फॉर्मूले के तौर पर पेश किया. उनकी फिल्म रोटी कपड़ा और मकान में मौसमी पर रेप दृश्य तो बड़ा भयानक था और हक़ीक़त ये थी की मौसमी उस समय सच में गर्भवती थी!
मतलब सफलता के लिए मानवीय संवेदनाओ को ताक में रखने से नहीं हिचकिचाते थे मनोज...
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