जिनके नाम पर पड़ा हमारे देश का नाम जाने उन चक्रवर्ती राजा की मोक्ष कथा....

""अभिज्ञान शकुंतलम" संस्कृत महाकवि कालिदास की रचना है, वेस्ट और दुनिया के लोग जब ठीक से लिखना पढ़ना भी नहीं जानते थे तब भारत के इस कवी ने संस्कृत में ऐसी ऐसी रचना"

image sources : pinterest

मौत का समय उस समय होश में रहना और उस समय क्या आप सोच रहे है ये पूरा का पूरा मामला बेहद महत्वपूर्ण है! इसी पर टिका है आपके अगले जन्म का दारोमदार और इसलिए आपको हर समय अच्छा ही सोचना चाहिए क्योंकि जिंदगीभर इंसान जो सोचता रहता है अंत में उसे वो ही याद आता है.

ऐसे ही एक राजा थे जिन्होंने काफी लम्बे अरसे तक राज्य किया और जब चैतन्य जाग्रत हो गया तो अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बैठकर वन में चले गए और तपस्या करने लगे. अंतिम समय में मनुष्य को समय रहते चेष्टा करके अपने मन को संसार से विरक्त कर भगवान् में लगा लेना चाहिए या फिर योग से प्राण भगवान् के ध्यान में छोड़ने चाहिए.

ऐसा करने पर मोक्ष सुलभ होता है लेकिन इन राजा को वन में एक डूबता हिरन के बच्चे को बचाने पर उसमे मोह हो गया और उसकी चिंता में ही उनके प्राण भी निकले जिसके चलते वो अगले जन्म में हिरन होकर ही जन्मे. हालाँकि न्यायपूर्ण शासन और अंत समय में तपस्या करने के चलते उन्हें अपने पूर्ण जन्म का वृतांत याद था और ऋषियों के पास आश्रम में ही रहने लगे.

लेकिन एक दिन ऐसा आया...

Next Slide में पढ़ें : आखिर कैसे मिला उस हिरन को मोक्ष, जाने कौन था वो राजा....???
Previous 1 2 Next  

Share This Article:

facebook twitter google