श्राद्ध पक्ष : जाने अपनी XYZ सभी तरह के सवालों के जवाब, कंही फिर पछताना न पड़े....

"आश्विन महीने के एक दिन पहले जो पूर्णिमा रहती है (भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा) उसी दिन से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाता है जो की सोलह तिथियों का होता है, लेकिन क्या आप..."

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हर वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष पुरे हिंदुस्तान में उत्सास से मनाये जाते है! इस दौरान अपने पूर्वजो की मरण तिथि के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को आमंत्रित किया जाता है और कौवे, गाय और कुत्ते को भी कगौल खिलाई जाती है.

हमारे इतिहास (धर्म शाश्त्रो) की ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से पितृ तृप्त होते है और हर गृहस्थ को ये कर्म करना चाहिए. लेकिन ब्राह्मण गौ, कौवे और गाय को खिलाने से आखिर कैसे तृप्त हो जाते है पितृदेव, आखिर पितृ देव कौन होते है और उनके लिए श्राद्ध की क्या आवश्यकता है?

किस पूर्वज के लिए किये जाए श्राद्ध किसके लिए नहीं, कब करना जरुरी नहीं कब करना अनिवार्य है? असमर्थता की स्तिथि में कैसे करे गरीब अपने पूर्वजो का सम्मान, जाने इसी तरह के श्राद्ध के बारे में सभी प्रश्नो के जवाब के ही स्थान पर हमारे साथ, कुछ संशय रह जाए तो कमेंट कर के पूछे जवाब....

Next Slide में पढ़ें : जाने श्राद्ध और श्राद्ध पक्ष का XYZ....
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