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आजादी के बाद हिंदी और क्षत्रिय फिल्मे भारतीयों केलिए मनोरंजन का बड़ा साधन बना था, टीवी आया तो क्रिकेट भी यंहा धर्म बन गया और अब क्रिकेट के साथ साथ बाकि खेलो का भी प्रभाव बढ़ रहा है. फिल्मो की टिकट्स दुनिया में सबसे सस्ती है इसलिए आज भी यंहा फिल्मे एक प्रमुख मनोरंजन है.
इसी के चलते फिल्मे समाज से प्रेरित और कभी समाज को प्रेरित करने वाली होती है, आज पढ़े कुछ ऐसी ही फिल्मो के बारे में जिन्होंने समाज को नई दिशा दी. 1982 में आई फिल्म अर्थ शायद अपने देखि हो जिसमे खुलभूषण खरबंदा का विवाहोतर सम्बन्ध था जिसे पत्नी जान गई थी.
उसके बावजूद भी अनंत पत्नी उसके पास लौट आई थी (मजबूरी में) इसी फिल्म से प्रेरित होकर महिलाओ ने अपने पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर स्वीकार करने शुरू कर दिए थे जो की आज भी जारी है. लाइफ इन ऐ मेट्रो भी कुछ ऐसी ही थी, जाने ऐसी ही फिल्मो को जिनको समाज ने दे दी स्वीकृति.
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