प्रह्लाद, ध्रुव और मार्कण्डेय का बचपन तो जाना अब जाने उनकी जवानी के किस्से भी

"राजस्थान के नागौर जिले के मकराना तहसील के गांव कालवा जीवन डूडी के घर पर जन्म हुआ था कर्मा बाई का जिन्होंने टीनएज में भगवान् को खिचड़ी खिलाई थी लेकिन फिर कहा गई?"

image sources : youtube

लाखो वर्षो पहले भगवान् के बाल भक्त के जन्म और लीलाये हुई थी, प्रह्लाद सबसे पहले बाद में मार्कण्डेय और फिर ध्रुव का जन्म हुआ था जिन्होंने भक्ति की नहीं इबारत लिखी थी. नारद ऋषि के आश्रम में रही थी प्रह्लाद की माँ कयाधु तब उनका भक्त बनना तय ही थी पिता हिरण्यकशयप की मौत के कारण भी वो ही बने.

ऐसे ही अल्पायु जन्मे मार्कण्डेय को पिता ने कम उम्र में ही शिक्षा दीक्षा दे दी और ज्ञान से परिपूर्ण कर सच बता दिया था. तब काशी जाकर मार्कण्डेय ने शिव की पूजा शुरू की जिसमे व्यवधान डालने आये यमराज को शिव जी ने भगा दिया और ऐसे अमरत्व पाने में कामियाब हुआ ये बाल भक्त.

सौतेली माँ ने जब सगे पिता की गोद से उतार कर खरी खोटी सुनाई प्रह्लाद को तो वो भी क्षत्रिय होने के चलते भड़क गया और बेहद छोटी उम्र में भगवान् नारायण की 6 महीने तक उग्र तपस्या की और नारायण ने उसे सबसे ऊंचा ध्रुव पद देकर सम्मानित किया था लेकिन ये सब तो उनके बचपन की कहानिया है.

जाने इन सभी के जवान होने के बाद के जबरदस्त कर्मकथा को....

Next Slide में पढ़ें : बड़े होकर प्रह्लाद बने राजा चिरंजीवी हो आज भी रहते है यंहा.....
Previous 1 2 3 4 Next  

Share This Article:

facebook twitter google