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"चिरंजीवी भवः" प्रणाम करने पर आशीर्वाद तो सभी बुजुर्ग देते है लेकिन वास्तव में उनका अभिप्राय रहता है की कम से कम हमारे जीवित रहते तो तुम जीवित ही रहो. वैसे चिरंजीवी का अर्थ होता है चीर काल तक जीवित रहने वाला यानी बहुत लम्बे अरसे तक या किसी निश्चित अवधि तक जीवित रहने वाले.
आपने भागवत कथाओ में या स्पिरिचुअल आर्टिकल्स में अष्ट चिरंजीवी के बारे में तो पढ़ा होगा जिसमे हनुमान जी, वेदव्यास, विभीषण, राजा बलि, अश्वत्थामा, कृपाचार्य परशुराम और मार्कण्डेय जी शुमार है जो की आज भी अदृश्य रूप में शाश्त्रो में बताये गए स्थानों पर तपस्या कर रहे है.
राजा बलि पाताल लोक में, वेदव्यास जी काशी में, अश्वत्थामा असीरगढ़ (मध्यप्रदेश) में, विभीषण लंका में, मार्कण्डेय और हनुमान उत्तराखंड की कंदराओं में, परशुराम जी महेन्द्रपर्वत (ओडिशा) पर तो कृपाचार्य कुरुक्षेत्र में अदृश्य रूप में तपस्या कर रहे है जो की कलियुग के अंत में सबके सामने आएंगे.
लेकिन ये चिरंजीवी आठ ही नहीं है उनके आलावा भी और है....
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