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हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्षीय चतुर्थी के दिन भगवान् गणेश की चतुर्थी पुरे महाराष्ट्र में तो धूम धाम से तो देश के बाकी शहरों में भी अब देखादेखी में मनाई जाने लगी है. अंग्रेजो ने जिन्हे भारत का राष्ट्रपिता माना उन लोकमान्य तिलक ने शुरू करवाया था ये महोत्सव.
इसके जरिये लोग इकट्ठे होने लगे धार्मिक उत्सव होने के चलते अंग्रेज उसपे पहरा भी नहीं बिठा सकते थे और इसी बहाने देशप्रेम की अग्नि को फैलाया जाता था. इसी वजह से महारास्त्र में आज भी बाप्पा का जलवा बरक़रार है जो की बड़े ही जोश खरोश से मनाया जाता है.
लेकिन अगर आपको लगता है की गणेश चतुर्थी भगवान् गणेश का जन्म और उनके जन्म पर ही उत्सव बनाया जाता है तो ये आपकी भूल है. आप माने ने माने लेकिन आज हम मान्यताओं को ही मान कर चल रहे है शाश्त्र नहीं पढ़ते जिसमे लिखा गया है असली धर्म का मर्म.
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