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देखने पर तो आपको ऊपर की तस्वीर का गाँव कोई नार्थ ईस्ट का गाँव सा लग रहा होंगे लेकिन असल में ये गाँव देवभूमि उत्तराखंड में है. इस गाँव की आबादी ज्यादा नहीं कुछ सैकड़ो की है लेकिन फिर भी ये गाँव ख़ास है, ये गांव बाकि इलाको से कटा हुआ है और यंहा सिर्फ तीन अलगअलग परिवार ही रहते है.
दुर्गम स्थान पर पर बसा है ये गांव इसलिए यंहा दूसरे गाँवो के लोग अपनी बेटी को नहीं ब्याहते है, फिर भी ये गाँव ख़ास है क्योंकि ये अपने आपको पांडवो का वंशज बताते है. अनजाने में भाई कर्ण की हत्या करने देने के एवज में उसकी याद में यंहा कर्ण का मंदिर भी बनाया गया है.
ये गाँव आज भी पिछड़ा है क्योंकि ये पुरातन संस्कृति से ही जी रहा है जिसका मुख्य कारण है इसका बाकि समाज से कटा होना. एक गोत्र में शादी नकारने की सनातन परम्परा का फायदा यंहा साफ़ देखने को मिलता है चूँकि यंहा एक ही परिवार के लोग आपस में शादिया कर लेते है इसलिए अनुवांशिक रोगो से त्रस्त और ग्रस्त है ये गाँव.
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