सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन ही क्यों लगता है, चन्द्रगृणा भी पूर्णिमा के दिन ही क्यों लगता है ये कभी सोचा है? वैज्ञानिक चाहे जो भी कहे लेकिन वो सब भी भारतीय ज्योतिष शाश्त्र को तब दंडवत प्रणाम करते है जब हाथो की अंगुलियों पर कोई ज्योतिषी गणना करके ये बता देता है की ग्रहण कब लगेगा कितने समय का लगेगा...
पृथ्वी सूर्य के एक चक्र लगाने में एक साल ले लेती है तो चन्द्रमा ये ही काम एक महीने में कर देता है, जबकि सूर्य का गैलेक्सी का एक चक्र का समय उतना ही होता है जितना की ब्रह्मा जी का एक दिन. इसलिए भारतीय ज्योतिष पर ही विशवास रखे ये हमारा इतिहास है दुनिया के लिए कल्पित कथा.
अब बात करे टॉपिक अमावस्या की तो सूर्य की जो सबसे चमकदार किरण है उसका नाम अमा है और जिस तिथि को चंद्र लुप्त हो इसमें बस जाता है उसे अमावस्या कहते है जो की चन्द्रमा की सोलहवीं कला कही गई है. ऐसे ही जब पूर्ण रूप से ये अमा से निकल जाता है उसे पूर्णिमा कहते है.
ये रहस्य आपको पहले पता नहीं होगा, जाने ऐसे ही आध्यात्मिक रहस्य जो आपको जानने जरूर चाहिए....
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