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हर साल श्रावण माह आने पर शिव मंदिरो में कावड़ियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है, मान्यता है की इसी महीने में शिव जी ने हलाहल विष पिया था. इस विष के प्रभाव से भोलेनाथ कुछ मूर्छित होने को ही थे की सभी देवताओ ने उनपे जल पुष्प दूध आधी आधी चढ़ाये ताकि वो सो न जाए.
बस इसी के चलते हर श्रावण मॉस में शिव को विशेष रूप से ये सब सामग्रियां चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी जो आज भी जारी है. एक मान्यता ये ही भी है की इस महीने (श्रावण) से ही भगवान् शंकर विष्णु जी की जगह जगत के पालन की जिम्मेदारी लेते है क्योंकि वो इस दौरान पाताल में राजा बलि के दरबार में द्वारपाल हो जाते है.
कुछ भी हो लेकिन भोले की उपासना से न चुके, इस महीने में भारतीय मर्द दाढ़ी नहीं बनाते है. कई महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस महीने में मांसाहार का त्याग कर दिया जाता है. आप भी ऐसा करते ही होंगे लेकिन क्या आपको पता है ऐसा करने के पीछे भी शास्त का ही लेख है?
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