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शायद आपने भी बहुतो के तरह इतिहास नहीं पढ़ा होगा और आपको भी ये सच्चाई पता नहीं होगी लेकिन ये सच है, 7 नवंबर 1966 के दिन दिल्ली के चांदनी चौक में आर्य समाज के मंदिर पर 1000000 लोग एकत्र हुए जिसमे 20000 महिलाये भी शुमार थी जो की गौरक्षा महाभियान समिति के सानिध्य में हुई थी.
इनका लक्ष्य था भारत में पूर्ण गौवध प्रतिबन्ध जो की संविधान के अनुसार वाजिब और संभव था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनकी मांग ठुकरा दी. ऐसे में भीड़ उपद्रवी हो गई और चालू संसद पर कूच कर दिया, 10000 वकील भी उनके साथ थे जो की उनके बराबर में मौजूद थे.
भीड़ ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष के घर को आग लगा दी थी और संसद के भीतर घुसने की कोशिश की थी, बदले में गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इस्तीफा दे दिया. तब इंदिरा के आदेश पर पुलिस ने गोलिया चलाई और अनधकृत रूप से 5000 साधू मारे गए थे, बाद में सरकार ने अनशन कर रहे शंकराचार्य को आश्वासन दिया कानून का लेकिन पूरा नहीं किया.
जाने ऐसे ही नरसंहारो की कहानी जो की आजादी के बाद लोकतंत्र में हुए थे...
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