स्कन्द पुराण : अपने पूर्व जन्म में नास्तिक जुवारी थे राजा बलि, जाने शिव कृपा से कैसे बने दानवीर?

"राजा बलि को तो सभी जानते है भले ही दानव थे लेकिन भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे और उनके पिता विरोचन भी दानवीर थे, लेकिन आखिर उन्होंने ऐसा क्या कर्म किया होगा की उन्ह"

image sources : sagarworld

देव शयनी एकादशी इस साल 23 जुलाई को है ऐसी मान्यता है की इस दिन से भगवान् विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के दरबार में द्वारपाल बनने के लिए चले जाते है और देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन वो लौटते है. अगले कल्प में राजा बलि देवराज इंद्र के दिक्पाल पद पर बैठेंगे तब तक ये सिलसिला जारी रहेगा.

आप माने न माने लेकिन अपने वर्तमान जन्म में मनुष्य जो भी कुछ पाता है वो उसके पूर्व जन्मो के कर्मो का फल होता है और इस जन्म में जो भाव वो कुछ करते समय अपने मन में लाता है उसी से उसके कर्मो की रचना होती है. ऐसे में अपने अगर कुछ महापुरुषों (आध्यात्मिक) की जीवनी पढ़ी है तो उसमे उनके पूर्व जन्म का भी वृतांत जरूर आता है. 

ऐसे में सोचिये की जिस राजा बलि के द्वार पर स्वयं भगवान् विष्णु एक याचक बनकर 4 महीने खड़े रहे और बलि से तीन पग भूमि मांगी थी उन्होंने अपने पूर्व जन्म में ऐसा क्या कुछ किया होगा की उन्हें ऐसा सौभाग्य मिला. आज जाने उन रमा बलि के पूर्व जन्म की कथा जो आपको हिलाकर रख देगी...

Next Slide में पढ़ें: पूर्व जन्म में एक नास्तिक जुवारी थे राजा बलि, महादेव की कृपा से 
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