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"दुष्ट दुशासन, वंश विनाशन खेंच रहा मेरे बदन का वासन, नग्न करण की मन में धरी! आओ तो आओ हरी...." प्रभु आये भी और उन्होंने द्रौपदी की लाज भी बचाई, लेकिन सवाल ये है की पांडवो और धर्म के हितैषी जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए ही अवतार लिया था उन्होंने इस घटना को रोका क्यों नहीं?
क्या सुयोधन ने उन्हें बुलाना नहीं दिया या फिर क्या पांडवो ने उनको इसकी सुचना नहीं दी या की कृष्ण के गुप्तचरों ने उनको इस बात की सुचना नहीं दी. भले ही उन्होंने द्रौपदी की लाज बचा ली लेकिन ये सवाल तो आप सब के जेहन में होगा की ही कृष्ण के रहते हुए ऐसा हुआ ही क्यों?
असल में तब भगवान् कृष्ण अपने राज्य की आक्रमणकारियों से रक्षा करने के लिए युद्ध में व्यस्त थे, ऐसा नहीं है की बलराम और अर्जुन तुल्य प्रद्युम्न मथुरा की रक्षा में सक्षम नहीं थे लेकिन मुकाबला ऐसे ही मायावी से था की कृष्ण का उपस्तिथि होना ही अवश्यम्भावी था.
जाने आखिर कौन था वो आक्रमणकारी जिसके चलते कृष्ण नहीं रोक पाए द्यूतक्रीड़ा????
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