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अगर बॉलीवुड स्टार्स में से किसी की बयोपिक बनानी चाहिए थी तो वो संजय दत्त की नहीं बल्कि मिथुन चक्रबोर्ती की, आज भी वो अपना रुतबा रखते है. संजय दत्त जैसी सख्शियत पर फिल्म बनाकर क्या फायदा, उससे किसी को कुछ सिखने नहीं मिलेगा बल्कि मिथुन दा से प्रेरणा मिलेगी.
1952 में वर्तमान बांग्लादेश के बरिसाल में जन्मे मिथुन चक्रवर्ती ने केमिस्ट्री से डिग्री लेकर FTII पुणे से से सनातक किया था, लेकिन फिल्मो में आने से पहले ही वो एक माओवादी बन गए. हालाँकि उनके भाई की एक दुर्घटना में मौत हो गई तो जान की परवाह किये बिना वो अपने परिवार के पास वापस लौट आये थे.
अपना अतीत भूलकर उन्होंने एक्टिंग शुरू की और मृणाल सेन की मृगया में अभिनय किया जिसके लिए उन्हें राष्ट्रिय पुरस्कार मिला. उसके बाद तो बॉलीवुड में उनके लिए दरवाजे खुल गए और कुछ ही सालो में वो एक स्थापित और मंझे हुए कलाकार बन कर उभर गए
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