खोज के लिए मिले 30 दिनों में असफल रहे थे हनुमान, 8 घंटे की होती देरी तो सीता जी कर लेती आत्मदाह....

"कलियुग में दान और नाम जप ही मोक्ष के द्वार है, लेकिन नाम जप में भी भाव प्रधान है और भाव तभी आएंगे जब आप राम और रामकथा को जानोगे! सुन्दरकाण्ड का हिंदी अनुवाद भी"

image sources : nationalviews

"कलियुग एकहि नाम अधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहि पारा" कलियुग में भगवान् का नाम (राम) ही आधार है जिसे पकड़ कर लोग आसानी से भवसागर (मृत्युलोक से मोक्ष) पार कर सकते है. लेकिन इसके आलावा भी एक और गूढ़ बात ये भी है की भाव भी प्रधान है.

ठीक है अगर मरते हुए भी आप अनजाने में या किसी और भाव से भगवान् का नाम ले लेते है तो भी आपको मोक्ष मिल सकता है. ऐसी श्रुति है की एक मुस्लिम जंगल में भटक गया था और वंहा उसे एक जंगली सुवर मार रहा था तो वो "हराम-हराम" चिल्ला रहा था उसका भी मौत के बावजूद मोक्ष हो गया.

लेकिन जीवित रहते अगर आप नाम जप करते है तो उसके पीछे भाव होने चाहिए, भाव तभी पैदा होंगे जब आपको राम जी में श्रद्धा होगी. श्रद्धा तभी होती है जब आप उनकी लीला यानि की रामायण का अध्ययन करेंगे मतलब राम जी को जानेंगे तभी आप नाम को मानेंगे.

काली में रामायण एक ऐसा ही ग्रन्थ है जो मोक्ष से आपका सामना करवा सकता है, उसमे भी सुन्दरकाण्ड की महिमा अतुल्य है तो क्या आप जानते है सुन्दरकाण्ड के कण कण को?

Next Slide में पढ़ें : जाने सुन्दरकाण्ड से जुडी ऐसी घटनाएं जो आपको पहले नहीं पता होगी....
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