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अच्छी बातें भले ही याद न रहे लेकिन जो बुरी बातें है जिन्हे आज की बोलचाल की भाषा में काण्ड कहते है वो सभी को याद रहते है. लेकिन उसमे से भी सिर्फ मुख्य बातें ही जेहन में रहती है मुख्य समस्या और समाधान पर किसी का ध्यान नहीं जाता, ऐसी ही एक घटना का पूरा मर्म समझे हमारे साथ.
देवराज इंद्र रुष्ट न हो, लेकिन रामायण में जिस गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का वर्णन है उसके साथ उन्होंने जबरदस्ती ही की थी जिसे धोखा भी कह सकते है. बलात्कार का अर्थ होता है जबरदस्ती करना, आज इसे साधारण भाषा में सिर्फ और सिर्फ शारीरिक जबरदस्ती (स्त्री से पुरुष के द्वारा) ही प्रयुक्त करा जा रहा है.
ब्रह्मा जी ने अपनी कन्या जिसे वरदान की वो आजीवन सुकन्या (वर्जिन) ही रहेगी का हाथ योग्य जान कर गौतम ऋषि को दे दिया था. इंद्र भी उसे पाना चाहता था इसलिए वो ताक में रहता था, अनंत एक दिन उसने छल से अहिल्या का शरीर पा ही लिया लेकिन पकड़ा गया जिसके बाद उसे एक हजार नारी गुप्तांग होने का श्राप मिला जो बाद में चक्षु में बदल दिया गया.
लेकिन अहिल्या का क्या, सबको ये ही मालूम है की उसे पत्थर होने का श्राप दिया था लेकिन ये सत्य नहीं है...
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