हिरण्याक्ष का वध करके पत्नी संग यंहा निवास करते थे भगवान् वराह, मक्का से ज्यादा श्रद्धालु आते है यंहा

"मतस्य, कुर्मा, वराह और नरसिंघ चारो ही भगवान् के अवतार अयोनिज है अर्थात वो प्रकट हुए थे उन्होंने माँ की कोख से जन्म नहीं लिया था. मत्स्य ने शंखासुर को मार मनु को"

image sources : tirumalahills

ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप के ही लगभग सभी प्रतिविवासी संताने है, उन्ही कश्यप ऋषि की पत्नी दनु से दो दैत्य जन्मे थे जिनका की गर्भादान दोपहर में राक्षसों के समय हुआ था. इसी के चलते हिरण्याक्ष और हिरण्यकशपु तो पुत्र राक्षसी प्रवति के हुए थे जिनमे से छोटे हिरण्यकशयपू को नरसिंघ अवतार ने बाद में तो...

हिरण्याक्ष को भगवान् विष्णु के तीसरे अवतार भगवान् वराह ने मारा था, ये दैत्य पृथ्वी को अगवा कर के समुद्रतल (क्षीर सागर) में ले गया था. उसे वरदान था की उसे सिर्फ वराह मुख ही मार सकता था, इसलिए भगवान् ने वराह रूप धरा और पृथ्वी को फिर ब्रह्माण्ड में ले आये.

पृथ्वी को अपने दांतो पर लिए ही भगवान् ने उससे युद्ध किया और उसका वध कर पृथ्वी को उबारा और पृथ्वी से विवाह भी किया था. इसी दौरान उनके शरीर के रोमो से और मुख से पृथ्वी की लगी मिट्ठी पिंड रूप में गिरी तो होने पितरो के लिए पिंड दान का विधान भी किया था.

लेकिन उसके बाद वो कहा गए अब कहा है ये कम ही लोग जानते है...

Next Slide में पढ़ें : जाने हिरंगयाक्ष वध के बाद कहा रहने लगे वराह अवतार....
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