पुत्र राम को याद करते हुए छोड़े थे प्राण, फिर भी दशरथ जी को नहीं मिला था मोक्ष! जाने गूढ़ कारण...

"60000 वर्ष की उम्र 300 से अधिक रानिया और 3 पटरानीया के बावजूद संतान (पुत्र) सुख नहीं मिला था तो गुरुओ के आशीर्वाद से अपने ही जमाता ऋषशृंगी के यज्ञ से मिले 4 .. "

image sources: sagarworld

"बेटा राम तुम मुझे जेल में डाल कर राज्य पर अधिकार कर लो...में तुमसे जो मांग रहा हूँ (वनवास) वो तुम मर करो नहीं तो में जी न सकूंगा!" रामजी से प्रेम के चलते पिता दशरथ ने बहुत प्रकार से कोशिश की थी उनसे बिछोह को रोकने की लेकिन कर्मो से कोई नहीं जित सका है. 

रामजी ने पिता की आज्ञा का अनुसरण किया और वन गमन किया, राम जी को वन से फिर लिवा लाने ने के लिए उन्होंने सुरथ (अपने प्रिय सारथि) को भेजा लेकिन जब वो खाली हाथ लौट आये तो दशरथ जी बेसुध हो गए. जिस प्रिय कैकयी के साथ ही उन्हें रहना पसंद था उसका कक्ष छोड़ तब दशरथ कौशल्या के महल में चले गए.

वंहा पहले तो कौशल्या ने भी उन्हें कटु वचन कहे लेकिन बाद में (पति धर्म) अपराध बोध से उन्होंने दशरथ जी से माफ़ी मांगी. वो रात बहुत लम्बी थी, कौशल्या जी की गोद में ही रोते हुए दशरथ जी अचेत हो गए और इसी अचेत अवस्था में ही उनका प्राण आधी रात में ब्रहालीन हो गए.

कौशल्या जी भी बेसुध थी उन्हें सुबह पता चला तो महल में चीत्कारो की आवाजे गूंजने लगी...

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