खालिस्तान : बिना वजह ही अंग्रेजो ने दे दिया पाकिस्तान को लाहौर, सिक्खो को आज भी है मलाल

"भारत-पाकिस्तान के बीच बंटवारे की लाइन खींचने वाले सिरील रेडक्लिफ का। लॉर्ड माउंटबेटन ने रेडक्लिफ को बाउंड्री कमीशन का चेयरमैन बनाया था। उन पर ही सीमा रेखा......"

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भारत आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था उस समय ही दूसरे विश्वयुद्ध का आगाज हो गया था, ब्रिटैन की सेना को नाज़ियों के खिलाफ लड़ना था. ऐसे में कांग्रेस जो की भारतीयों का (ब्रिटिश राज में आधिकारिक) पक्षकार बन चुकी थी से ब्रिटिश राज ने मदद मांगी थी, दरअसल उन्हें भारतीय सैनिको की भर्ती चाहिए थी.

ऐसे में मज़बूरी देख कांग्रेस ने भी आजादी के बदले ऐसा समर्थन देने की शर्त रख दी जिसे अंग्रेजो ने नकार दिया और गाँधी नेहरू सुभाष समेत सभी कांग्रेस लीडर्स को जेल में डाल दिया. तब अंग्रेजो ने भारतीय रियासतों से मदद ली और 25 लाख की सेना जुटा ली जिसकी सहायता से युद्ध जीता उन्होंने.

युद्ध जितने के बाद अंग्रेजो ने कांग्रेस नेताओ को आजाद किया था, लेकिन इसके बाद अंग्रेज भारत को आजादी देने के लिए कैसे तैयार हो गए थे ये बात भी आज तक रहस्य से कम नहीं है. आजादी देने की हाँ भरने के बाद पाकिस्तान का निर्माण और बंटवारा के बड़ी प्रशासनिक चुनौती थी अंग्रेजो के सामने.

बिना संवेदनशीलता के हुआ भारत का बंटवारा जिसको सबसे ज्यादा झेला सिक्खो ने....

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