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जो अनादि काल से चला आ रहा है उसे सनातन कहते है, भारतीयों का कोई धर्म नहीं है बल्कि सनातन परम्पराओ का निर्वहन करना ही हमारा धर्म है. विदेशी आक्रमणकारियों ने जिन्होंने सिंधु नदी पार कर भारत में प्रवेश किया वो हमें सिंधु कहते थे लेकिन वो उच्चारण में स को ह बोलते थे इसलिए भारतीय हिन्दू कहलाने लगे ये कोई धर्म नहीं बल्कि समूह है.
भगवान् शिव और पार्वती का विवाह जिस अंदाज में हुआ था उसी अंदाज में लगभग आज भी हम शादिया आयोजित करते है. इस दौरान बहुत से रस्मे निभाई जाती है जिनको हम युगो से निभाते आ रहे है लेकिन अगर कोई पंडित से पूछ ले की ये क्यों ऐसे क्यों तो वो भी जवाब नहीं दे सकता तो आप कैसे दे सकते है.
हालाँकि धर्म में तर्क वितर्क नहीं होता लेकिन कई ऐसी परम्पराये जो आज भी हम निभाते है उनका अर्थ शायद आपको मालूम हो तो आप गदगद हो जाएंगे. उदाहरण के तौर पर, उपनयन हल्दी बान बैठाना बारात जब दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे तो दूल्हे का तोरण मारना और ऐसी ही कई परम्पराओ के पीछे का कारण क्या है जानिये.
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