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ज्यादातर भारतीय ये सोच कर ही दिवाली मनाते है की इस दिन राम जी वनवास से लौट आये थे और इसी ख़ुशी में सब उत्स्व मनाते है. लेकिन वाल्मीकि रामायण की माने तो रामजी तो दिवाली से 13 दिन पहले ही अयोध्या लौट आये थे, असल में दिवाली के दिन राम जी आने का नहीं बल्कि राम राज्याभिषेक का उत्सव मनाता है पूरा भारत वर्ष.
तर्क के रूप में, आज भी व्यापारी या सकाम लोग दिवाली की पूजा रात में बारह बजे के बाद सिंह लग्न में ही करते है मतलब तब तक अमावस्या बीत चुकी होती है और प्रतिप्रदा आरम्भ हो जाती है. हालाँकि हम पुष्ट नहीं है लेकिन इस लग्न में राज्याभिषेक होना बेहद शुभ होता है.
वाल्मीकि रामायण जिसने पढ़ी है वो इस बात से सहमत होगा, ये तो हुई बात दिवाली मनाने के कारण की लेकिन राज्याभिषेक के दौरान क्या क्या घटनाएं हुए थी ये आपको किसी ने नहीं बताया होगा. उस दौरान हुई एक दिव्य घटना भी हम आपको बता दे रहे है जो की आपकी रामभक्ति में और भी वृद्धि करेगी.
राज्याभिषेक के तुरंत बाद उपहारों का खूब आदान प्रदान हो रहा था इसी बिच...
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