भगवान् नहीं है इंद्र : देवता होकर भी इंद्र क्यों करते है ऐसे काम जो उनके पद के अनुरूप नहीं...?

"इंद्र हो या चंद्र उन्होंने कुछ ऐसे काम किये है जिनको सार्वजनिक करने पर कट्टर हिन्दू धर्म की दुहाई देकर रोष प्रकट करते है, लेकिन आखिर देवता होकर वो ऐसा क्यों????"

image sources: samacharjagat

अहल्या भगवान् ब्रह्मा की मानसिक पुत्री थी और इस लिहाज से वो नारद जी की भी बहिन थी, ऐसी कहानी सुनने में आती है की उनके लिए योग्य वर ढूंढने के लिए ब्रह्मा जी ने एक प्रतिस्पर्धा रखी जिसे अनजाने में ही गौतम ऋषि ने जित लिया था. हालाँकि इंद्र और कई देवता उसका स्वयंवर जितने के प्रयास में थे लेकिन वो विफल रहे.

अहल्या को वरदान था की वो आजीवन सोलह वर्ष की कन्या ही रहेगी, इसी बात से आसक्त इंद्र ने उनके शील का हरण धोखे से किया था. लेकिन गौतम ऋषि ने उसकी ये गलती पकड़ ली और इसी के चलते उसे श्राप दिया की उसके शरीर पर हजारो महिला गुप्तांग हो जाए.

हालाँकि बाद में उन्होंने इसे बदल कर हजारो आँखें कर दिया था, लेकिन सवाल ये है की जब स्वर्ग में 36 करोड़ अप्सराये मौजूद है तो इंद्र ने ऐसा क्यों किया. हमारे हाथ एक ऐसी कहानी या यु कहें तर्क लगा है जो की इंद्र की ऐसे कामो की असल वजह को जाहिर करता है. 

जाने आखिर इंद्र समेत कुछ देवता क्यों करते है ऐसा काम जिससे उन्हें देव कहने पर उठते है सवाल... 

Next Slide में पढ़ें : शास्त्रों के सार से जाने असल तथ्य इंद्र के अपराधों के पीछे....
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