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राजनैतिक विज्ञानं स्कूलों में बहुत कम पढ़ाया जाता है और सनातक करने में वो ही लोग इस विषय को चुनते है जिन्हे राजनीती में आना हो या फिर सरकारी नौकरी के लिए. इसके चलते आजादी के पहले की और बाद की 100 वर्ष की राजनीती को लोग नहीं जानते है जबकि हर व्यक्ति का राजनैतिक और धार्मिक दृष्टिकोण होना ही चाहिए.
जानना भी नहीं चाहते है क्योंकि सब अपनी अपनी दाल रोटी में भी व्यस्त है, कोई भी राजनीती में आना भी नहीं चाहता क्योंकि ये अब बदमाशों का काम बन गई है. लेकिन अगर अच्छे लोग राजनीती में ही नहीं आएंगे तो इसमें सुधार कैसे होगा, लेकिन अपने आप ही इतिहास जो की गूगल पर उपलब्ध है वो भी नहीं पढ़ना चाहते है.
लेकिन सोशल मीडिया आने के बाद जब सभी को आँखों के सामने ही राजनितिक जानकारी मिलने लगी तो सोशल मीडिया राजनेताओ की प्यार चिड़िया बन गया. 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की जित में सबसे बड़ा फैक्टर सोशल मीडिया ही था जिसमे अब सभी राजनैतिक पार्टिया कूद पड़ी है लेकिन एक सवाल का जवाब आज आप हमसे ले....
जब आजादी में के समय में एक ही राजनैतिक पार्टी थी तो आज इतनी पार्टिया क्यों और कैसे हो गई???
Next Slide में पढ़ें : जाने हर राज्य और केंद्र में कैसे बनी इतनी सारी पार्टिया????