क्या आप जानते है : जातिवाद के चलते अंग्रेजो से आजादी नहीं चाहता था मद्रास (तमिलनाडु)?

"सुनकर शायद चौंक गए होंगे क्योंकि इस नजरिये से कभी इतिहास नहीं पढ़ा होगा या पढ़ा या गया होगा आपको लेकिन ये सच है, अंग्रेजो के इतने वफादार थे मद्रासी के आजादी नहीं"

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1937 में पुरे भारत में पहली बार अंग्रेजो के राज में ही सही लेकिन चुनाव हुए थे जिसमे कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था और मुस्लिम लीग (जिन्ना) बहुत पीछे रही लेकिन दूसरे स्थान पर रही थी. इस चुनाव के बारे में कहा जाता है की इन्ही से जाती और धर्म की राजनीती की शुरुवात हुई हिंदुस्तान में.

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को लिखे सरदार पटेल के पत्रों और उनके जवाबो के पढ़े तो पाएंगे की उसमे साफ़ कहा राजेंदर जी ने की ये सच है की हमने जाती के हिसाब से टिकट्स बांटे है लेकिन कांग्रेस को जिताने के लिए हमें हरहाल में ही ये करना ही था. बताइये गाँधी, नेहरू जैसे चेहरों के होते हुई भी कांग्रेस को जातिवाद का कार्ड खेलना पड़ा था.

लेकिन ये भी जातिवाद की शुरुवात नहीं है इसके बहुत पहले मद्रास में भी जातिवाद की शुरुवात हो चुकी थी, वंहा की सत्ताधारी जस्टिस पार्टी तो इसी के चलते अंग्रेजो से आजादी भी नहीं चाहती थी. सत्ताधारी इसलिए क्योंकि मद्रास में 1919 से ही चुनाव होने शुरू हो गए थे और जस्टिस लीग को अंग्रेजो के राज से कोई ऐतराज नहीं था.

आखिर क्या थी पूरी कहानी जाने विस्तार से, इतिहास न जानने का होगा आपको अफ़सोस 

Next Slide में पढ़ें: तो क्या सच में अंग्रेजो से आजादी नहीं चाहता था मद्रास (तमिलनाडु)?
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