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जबसे बीजेपी सत्ता में आई तब से ही हिन्दू मुस्लिम की चर्चा ज्यादा ही हो रही है, हालाँकि आजादी के पहले से कभी भी इन दो समुदायों में शांति नहीं रही है बस आजादी के बाद हिन्दुओ ने गंगा जमुनी तहजीब के जुमले से अपने अंदर की हिंसा को दबा दिया है बाकी अब तो अब भी जारी है.
हालाँकि बीजेपी विकास के नाम पर और मोदी के नाम पर ही सत्ता में आई थी लेकिन सत्ता में आने के बाद विपक्ष इस मुद्दे को उछालकर अपने अल्पसंख्यक वोट पुख्ता कर रहा था. लेकिन पंजाब और दिल्ली को छोड़ कर जब बीजेपी सभी स्थानों पर जीती नार्थ ईस्ट भी जित लिया तो अब विपक्ष विचलित हो गया.
अब देश में दलित और स्वर्ण की चर्चा हिन्दू मुस्लिम से ज्यादा हो रही है, इसके पीछे जानकार राजनितिक कारण ही देखते है जिससे की वोटो का ध्रुवीकरण किया जाए. दलितों के साथ अत्याचार हुए है इस बात से किसी को इंकार नहीं लेकिन इसके पीछे धर्म के स्तर गिरना ही कारण था धर्म नहीं.
अगर ऐसा नहीं होता तो दलित होकर नारद देवर्षि नारद नहीं बनते...
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