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भारत में 1955 हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत गोवा को छोड़ बाकि सभी राज्यों में हिन्दुओ के लिए बहु विवाह (पहली पत्नी के रहते दूसरा विवाह) गैर क़ानूनी है. वंही गोवा में छोड़ बाकि सभी राज्यों में मुसलमानो के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट 1937 के तहत एक से ज्यादा शादिया करना क़ानूनी हक़ है.
हालाँकि देश सेक्युलर है लेकिन हर धर्म के लिए अलग अलग कानून है इसलिए कॉमन सिविल कोड की मांग उठ रही है जो की सुप्रीम कोर्ट में चल भी रही है. बीजेपी के 2014 चुनाव अजेंडे में भी ये शामिल था लेकिन फिलहाल ये ठन्डे बस्ते में भी है और ट्रिपल तलाक पर कोर्ट के बेन के बाद सरकार पर इसे थोपने के आरोप लग रहे है.
इसके बावजूद अगर पहली पत्नी आपत्ति नहीं करती है तो एक से ज्यादा शादिया भी पुरे भारत भर में हिन्दुओ की हो रखी है. ऐसे में अगर खबर आये की सरकार एक से ज्यादा पत्निया रखने पर अतिरिक्त भत्ते देने वाली है तो जो लोग पहली को झेल रहे है वो तो लालायित हो ही जायेंगे.
लेकिन क्या ये खबर पक्की है?
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