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जो गीता अर्जुन को दुबारा सुनने नहीं मिली वो वेदव्यास जी की कृपा से आज भारत के घर घर में मौजूद है, रोज लाखो लोग इसका अध्ययन कर पाते है इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा. हालाँकि गीता में ही कहा गया है की जिसकी सुनने की इच्छा न हो जिसका भगवान् में विशवास न हो ऐसे को न पढ़नी चाहिए और न ही आस्तिको को ऐसे आदमियों को उनका प्रवचन ही करना चाहिए.
सोशल मीडिया पर आप भारतीय इतिहास (धर्म ग्रंथो का) का अपमान होते वीडियो आपने देखेंगे ही होंगे (मनु स्मृति जलाने गीता जलाने की घटनाओ के वीडियो), शायद इसीलिए ऐसे लोगो के लिए मनाही कर दी गई थी इन बातो की. इसके बावजूद कई नास्तिक इस्पे सवाल उठाने के लिए ही ये पढ़ लेते है.
चूँकि भारत सेक्युलर देश है यंहा धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती है (सिवाय मुसलमानो के जिनको की अल्पसंख्यक दर्जा मिलने के बाद मदरसे में धर्म पढ़ाने की इजाजत सरकारी खर्च पर है) तो बहुत ही कम भारतीय धर्म का मर्म समझते है. ऐसे में ऊपर तस्वीर में दिए गए श्लोक पर सवाल उठाते है नास्तिक फर्जी सेक्युलर.
आत्मा को जम पीड़ा नहीं होती और मौर के बाद शरीर मर जाता है तो नरक में यातनाये कैसे दी जा सकती है?
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