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वैसे तो फ़िल्मी अभिनेता राजनीती में राजनेताओ के लिए प्रचार करते है लेकिन साउथ की राजनीती में अभिनेताओं का ही साम्राज्य सा रहा है. वजह ये है की लोग उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े रहते है और वंहा के अभिनेता भी अपनी इस छवि का ख़ास ध्यान रखते है.
वैजयंती माला ने 1989 में तमिलनाडु से इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ा था और बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी, काका भी चुनाव लड़े थे और पहली हार के बाद दूसरे चुनाव में जीते थे. कुछ समय बाद में अमर सींग वो नेता थे जिन्होंने जयाप्रदा और जाया और अमिताभ बच्चन को राजनीती में उतारा था.
हालाँकि अमिताभ अपना पहला ही चुनाव जीते थे लेकिन राजीव गाँधी के भ्रस्टाचार के आरोप में (बोफोर्स) फंसने के चलते उनकी सरकार गिरी तो उन्होंने भी राजनीती से तौबा कर ली. लेकिन जया और जया प्रदा डटी रही आज भी है लेकिन अलग अलग स्वरूपों में.
हालही में जया प्रदा के खिलजी वाले बयान से फिर सियासत तेज हो गई है...
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