20 ऐसी तस्वीरें जो नास्तिको को भी मानने पर मजबूर कर देती है 38 लाख साल पहले घटित हुई रामायण को...

"जय श्रीराम भारत का ही नहीं पुरे दुनिया में दर्जनों देशो का प्रिय नारा है, लगभग 30 से भी ज्यादा देशो में रामायण पढ़ी जाती है और वंहा इसके प्रति आस्था है तो फिर..."

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भारत सेक्युलर देश है इसके चलते अल्पसंख्यकों को छोड़ कर किसी भी नागरिक को धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती है (सरकारी खर्चे पर)! शायद ये ही कारण है की भारतीय पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में और बिना अच्छे बुरे के विवेक के कर्म करते हुए अपनी आस्थाओ से दूर हो रहे है और धीरे धीरे नास्तिक (अथेइस्ट) बनते जा रहे है.

हालात ये हो गए है की जिन राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है और भारत के अलावा दर्जनों देश के लोगो में और विभिन्न धर्मो में उनकी आस्था है, कुछ भारतीय ही उनके अस्तित्व को या रामायण के अस्तित्व को ही नकारते है. अमेरिकी स्पेस अगेन्सी नासा ने जब कुछ तस्वीरें जारी की तो ऐसे नास्तिक भी चौंक गए.

नासा ने स्पेस से तस्वीरें जारी का भारत की उन आस्थाओ को पुष्टि की जिसमे कहा जाता था की भारत और श्रीलंका के बिच रामायण काल में सेतु (पुल) बनाया गया था! हालाँकि तब उसका नाम नल सेतु (मयासुर पुत्र नल ने निर्माण किया था) था लेकिन अब ये रामसेतु के नाम से प्रसिद्द हो चला है.

ये एक जगत्मान्य साक्ष्य है रामायण के घटित होने का, देखे ऐसे ही ढेरो साक्ष्य..


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वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी के संजीवनी बूटी के लिए द्रोणगिरि पर्वत लाने का वर्णन है लेकिन वापस ले जाने का नहीं. असल में उन्होंने वो पर्वत लंका में ही छोड़ दिया था जो आज भी वंहा स्तिथि है. सबूत के तौर पर वंहा के खोज कर्ताओ ने साबित किया है की इस पर्वत के पेड़ पौधे और आबोहवा उसके आसपास के पर्वतो जंगलो से एकदम अलग है.

इतना ही नहीं उत्तराखंड (भारत) में द्रोणगिरि नाम का गाँव है जंहा आज भी लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते है क्योंकि वो उनकी आजीविका (द्रोणगिरि पर्वत) उठा ले गए थे. 

Next Slide में पढ़ें: ऐसे ही ढेरो और भी अकाट्य चमत्कारिक प्रमाण?
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