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आज का फ़िल्मी दौर ऐसा है जंहा अभिनेता के बल पे ही चल रही है फिल्मे, अभिनेत्री का काम तो सिर्फ लटके झटके करना और नायक के साथ रोमांस करना भर ही है. इसी के चलते नेपोटिस्म (वंशवाद/परिवारवाद) से ही फिल्मो में अभिनेत्रियों का चयन हो जाता है.
लेकिन भारतीय हिंदी फिल्मो के शुरुवात में ऐसा नहीं था, तब फिल्मो की कहानी काफी सारगर्भित होती थी जो की आज की मसाला फिल्मो से काफी अलग होती थी और एक्ट्रेस की भी एक्टिंग मायने रखती थी. साथ ही गरीब देश में दो जून की जंहा रोटी नसीब नहीं होती वंहा एक्टिंग में कौन आये ये भी समस्या थी.
उस दौर में बॉलीवुड फिल्मफेर द्वारा United Film Producers Talent Hunt का आयोजन करवाता था और उसमे चुने जाते थे प्रतिभावान अभिनेता और अभिनेत्रियां. 1960 के ऐसे ही शो में फरीदा जलाल और राजेश खन्ना पहुंचे थे फाइनल में और आपको जानकार आश्चर्य होगा की उस प्रतियोगिता की विजेता रही थी फरीदा जलाल.
जानकार चौंक गए है तो ठहरिये अभी और भी है ऐसे सरप्राइजेस
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