फतवा गैंग के भी है डबल स्टैण्डर्ड, जंहा उलटा पड़े वंहा नहीं देते फतवा और जंहा...

"देश भर में होने वाली घटनाओ को जो न्यूज़ में आती है उनपे अपने नेताओ के डबल स्टैंडर्ड्स देखे होंगे, ऐसे ही धार्मिक संस्थाओ के गुरुओ और मौलानाओ के भी ये ही हाल है.."

image sources: ibnkhabar

वेस्ट बंगाल में दलितों के खिलाफ दंगे हुए तो पुरे देश के राजनेताओ की जुबान पर ताले थे और महाराष्ट्र में एक गैर दलित मर गया तो भी संसद से सड़क तक खूब हंगामा हुआ. ये हमारी राजनीती के डबल स्टैण्डर्ड है और फायदे नफे के हिसाब से हंगामा बरपाना ही इसका मकसद है किसी कौम या मजहब से इनका कोई सरोकार नहीं है.

ऐसे ही धार्मिक गुरु और मौलाना भी है जिनको जंहा फायदा या पब्लिसिटी दिखती है वंहा वो अपनी राय थोप देते है लेकिन अगर वो ही समान काम अगर कोई रसूख वाला आदमी करे तो उनकी जुबान हलक में अटक जाती है. आपको यकीं नहीं होता तो ये देखिये प्रतिस्पर्धात्मक उदाहरण.

ऊपर एक मुस्लिम IAS (एमपी) ने शंकराचार्य की चरणपादुका को अपने सर पे रख कर जुलुस में शिरकत की तो उनके खिलाफ तुरंत फतवा निकल गया और इस काम को गैर मजहबी घोसित कर दिया मौलानाओ ने लेकिन सलमान खान के घर हर साल गणपति पूजा होती है जुलुस और ार्टिया होती है लेकिन मजाल है किसी की के फतवा निकाल दे.

अगर फतवा निकाल दे तो उनके ही धर्म के लोग बगावत कर दे इसके लिए फतवा नहीं जारी होता, देखे ऐसे ही कुछ धार्मिक डबल स्टैण्डर्ड के उदाहरण...

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