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अगर आपको भगवान् को प्रतयक्ष देखना है तो रोज भगवान् सूर्य को देख सकते है जो की प्रत्यक्ष देवता है! भगवान् विशुनु, शिव, शक्ति और गणेश के अलावा सूर्यदेव की उपासना कहना वाला भक्त चाहे जैसे भी उन्हें भजे वो मोक्ष का ही अधिकारी होता है बाकि सभी देव स्वर्ग या मनचाहा फल देने वाले भर ही है.
सूर्य की मुख्य तिथि सप्तमी है और रविवार भी उनका ही वार है, ऐसे ही शायद ही आपको मालूम हो न हो लेकिन भगवान् सूर्य की सात संताने है. संक्रांति भी सूर्यका भी पर्व है जो की हर महीने में आता है लेकिन उत्तरायण और दक्षिणायन की शुरुवाती संक्रांति ही की ज्यादा महिमा कही गई है.
जिस महीने में सूर्य संक्रांति नहीं आती है उस महीने को अधिक मास कहा जाता है जो की हर ढाई साल के बाद होता है. सूर्य की सन्तानो शनि, यम, यमी (यमुना),शनि की बहिन ताप्ती (नदी) को तो आप जानते ही होंगे उनके अलावा भी उनके दो पुत्र थे जिनके जन्म की कथा बेहद विचित्र है और पुरे सूर्य परिवार की कथा इसमें आ जाती है.
जाने उन दो सूर्य पुत्रो की जन्म की कथा जो अब हो गए है देवताओ के वैद्य....
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