कभी वेस्ट (पश्चिम) में भी प्रचलित थी भारतीय संस्कृति, जाने कालांतर में कैसे हुआ ह्रास?

"वासुदेव कुटुम्बकम का मतलब है पूरा विश्व एक परिवार और था भी ऐसा वेस्ट में भी कभी भारतीय संस्कृति ही प्रचलन में थी लेकिन कालांतर में उसका ह्रास हो गया जाने कैसे?"

image sources: quara

अगर श्रीमद भागवत महापुराण पढ़ी या सुनी है तो आपने राजा पृथु की कथा भी जरूर सुनी होगी जो की भगवान् विष्णु के ही अंशावतार थे! भागवत की माने तो उन राजा पृथु के ही नाम पे हमारी धरती पृथ्वी कहलाती है उन्होंने ही अपने रथ से सूर्य का पीछा कर के 24 घंटे सूर्य उगे ऐसा प्रयास किया था.

तब उनके ही रथ के पहियों से सातो समुन्द्रो का निर्माण हुआ था, राजा ने अपने सात पुत्रो में सात महाद्वीपों का राज्य बाँट दिया था और एशिया से बाहर जितने भी महाद्वीप है उन सब में भी कभी उनके पुत्रो का राज था जो की कालांतर में भारत से न जुड़े होने के चलते पराये से हो गए.

आपको जानकार आश्चर्य होगा की कभी वंहा (एशिया के आलावा 6 महाद्वीपों में) भी भर्ती संस्कृति ही प्रचलित थी जो की कालांतर में आज के जैसी हो गई है. आज जाने कैसे समय के साथ साथ उदारीकरण के नाम पर हुआ था संस्कृति का ह्रास और आज फिर से वेस्ट बढ़ रहा है भारतीय संस्कृति की तरफ....

Next Slide में पढ़ें: जाने कैसे गिरा वेस्ट में संस्कृति का स्तर, अब हम उसी राह पर है?
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