जाने क्या हुआ जब फेरो में बैठे अनादि अजन्मा, स्वयंभू भगवान् शिव से हिमालय ने पूछ लिया गोत्र?

"पति रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने शिव की तपस्या की और उनके प्रकट होने पर उनसे हिमालय से उनका हाथ मांगने के लिए कहा, हिमालय को तो नहीं लेकिन मैना को अभिमान "

image sources: jeaniemanchester.com

शिव-पार्वती के विवाह की कथा आपने टीवी पर देखि होगी या कंही प्रवचन में सुनी होगी, लेकिन असली कहानी कितनी मजेदार है वो आपको शिवपुराण में पढ़ कर ही एहसास होगा. शिव और पार्वती की जोड़ी तो अनादि काल से है लेकिन लोक मर्यादा और लौकिक मर्यादा के लिए हर कल्प में दोनों करते है शादी ये शास्त्र का कथन है.

हालाँकि हमारा इतिहास इतना लम्बा चौड़ा है के वेदव्यास जी ने भी सिर्फ सटी-शिव और शिव पारवती के विवाह के बारे में ही उल्लेख किया है. खुद वेदव्यास जी का भी वर्तमान 18 करोड़ वा अवतार है, क्या कोई यकीन करेगा लेकिन सत्य ये ही है इसलिए वेद और शास्त्र संक्षिप्र में ही लिखे गए है टाकिन कम में ही समझ जाए ज्ञानी.

उमा (पार्वती) की तो रजामंदी हो गई थी लेकिन पार्वती जी चाहती थी के शिव उनके पिता से उनका हाथ मांगे, हिमालय और मैना के मन में अभी भी अभिमान बाकी था. ऐसे में शिव ने पहले दोनों का अभिमान भंग किया उसके बाद ही शादी की थी पार्वती जी से.

जाने उस दिव्य कथा का संक्षित्प लेकिन रोचक अंश....

Next Slide में पढ़ें: पहले सप्तऋषियों को भेज कर माँगा उमा का हाथ, फिर नटराज बन तोडा हिमालय का अभिमान 
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