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भारतीय इतिहास में स्वयंवर एक रोचक घटना होती थी जिसमे एक लड़की को अपने पति के चुनाव की आजादी होती थी, बुलाये गए सभी राजाओ में से जो पसंद आये उसका वरण कर सकती थी राजकुमारी. लेकिन राजकुमारी को ये आजादी बहुत बाद मिलने लगी थी त्रेतायुग हो या द्वापर उसमे ऐसा नहीं था.
कारण था की क्षत्रिय के लिए स्वयंवर में शादी के लिए जाना उनकी शान के खिलाफ था, इसके लिए ही लड़की का पिता स्वयंवर में कोई न कोई चुनौती रखा था जिसे पूरा करने वाला ही विजेता होता था. स्वयंवर के बाद भी जरुरी नहीं की लड़की चुनौती जितने वाली की हो जाए उसके लिए युद्ध भी हो सकता था इसकी पूरी सम्भावना बनी रहती थी.
पुष्टि के लिए, सीता जी के विवाह में शिव धनुष पर प्रतयाँजा चढ़ाने की चुनौती थी तो द्रौपदी के स्वयंवर में पानी में देख कर ऊपर चल रही मछली की आंख बींधने की. श्री कृष्ण की पैंटी नाग्नजिती के लिए एक पुरुष को 7 सांडो को एक साथ धराशायी करने की चुनौती थी जो उन्होंने पार की.
जाने आखिर क्यों क्षत्रियो के शान के खिलाफ था स्वयंवर और किन किन स्वयम्वरो में इसके चलते हुआ था बवाल????
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